कनाडा ने अपनी इमिग्रेशन और वीजा पॉलिसी को कड़ा कर दिया है, जिससे भारतीय छात्रों और कामगारों पर असर पड़ रहा है. फरवरी 2024 से लागू इन नियमों के तहत बॉर्डर अधिकारियों को अधिक अधिकार दिए गए हैं. दरअसल, 31 जनवरी, 2025 को कनाडा के नए आव्रजन और शरणार्थी संरक्षण नियमों के लागू होने के बाद से कई छात्रों को वीजा परमिट रद्द होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कनाडा में पढ़ने वाले 4.27 लाख भारतीय छात्रों पर इन बदलावों का असर हो सकता है.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, फॉरेनएडमिट्स के संस्थापक निखिल जैन ने बताया कि बेहतरीन अकादमिक रिकॉर्ड के बावजूद कई छात्रों के परमिट रद्द कर दिए गए हैं. यदि किसी छात्र का परमिट रद्द होता है, तो उसे तुरंत देश छोड़ना पड़ सकता है या कानूनी अपील करनी होगी, जिसकी लागत C$1,500 से शुरू होती है और सफलता की कोई गारंटी नहीं होती.
वनस्टेप ग्लोबल के मुख्य परिचालन अधिकारी सिद्धार्थ अय्यर के अनुसार, 2023 की चौथी तिमाही में भारतीय छात्रों को जारी किए गए स्टडी परमिट में 40% की गिरावट आई है. C$20,635 GIC (गारंटीकृत निवेश प्रमाणपत्र) आवश्यक होगा. यह मध्यम वर्गीय भारतीय परिवारों के लिए एक बड़ी वित्तीय चुनौती होगी. भारतीय छात्र कनाडा की अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का 35-40% हिस्सा बनाते हैं, जिससे इस बदलाव का ज्यादा प्रभाव पड़ेगा.
स्टडी परमिट रद्द होने से स्नातक होने या वर्क परमिट प्राप्त करने में समस्या होगी. श्रमिकों और कानूनी प्रवासियों के लिए भी चुनौतियां बढ़ेंगी. स्टडी डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) वीजा रद्द किया जाएगा. 2025 के अंत तक SDS वीजा कार्यक्रम बंद होने की संभावना है, जिससे छात्रों को वीजा आवेदन में अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. बता दें कि कनाडा भारतीय छात्रों और श्रमिकों के लिए एक फेमस डेस्टिनेशन है, लेकिन वीजा नियमों में बदलाव ने इस देश की यात्रा करने वालों की टेंशन को बढ़ा दिया है. नए नियमों के तहत छात्रों और श्रमिकों को एडिशनल डॉक्यूमेंटेशन और स्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग का पालन करना होगा.
